कालनेमी का जानिए, इतना ही था काम।
भीतर रावण पल रहा, मुंह पर थे श्री राम।
ये युग कालनेमियों का युग है। बड़ा अद्भुत जीव था कालनेमी। हनुमानजी जैसे परम बुद्धिमान व्यक्ति को भी छल से भ्रमित कर चुका था। वो तो उनका सौभाग्य था कि सही समय पर दैवी संयोग से उन्हें उचित मार्गदर्शन मिला और रामकाज सफल हो सका।
ऐसे गुरुओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अब आगे क्या होगा, राम ही जाने।
राम भजिए पर सतर्क रहिए। भक्ति में सतर्कता बहुत जरूरी है। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
:-हरि ओम शर्मा
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