Lockdown में घर वापस लौटने की कोशिश करते परिंदों को समर्पित-
बंजारों की टोली देखो,
वापस घर को लौट रही है।
देश की हालत जन-जन के,
आंखों में आज कचोट रही है।
कोई बसेरा मिला नहीं क्या?
नहीं मिला क्या कोई ठिकाना?
लिए एक ही उत्तर हैं ये,
"हमको वापस घर है जाना"।
- हरि ओम शर्मा
हमारी कोई भी बात इनके समझ में नहीं आने वाली। इनकी मनोदशा को समझना चाहिए। अपना घर सबको प्यारा होता है। सरकार जोभी सक्षम प्रयास हो करें और इन्हें वापस इनके बसेरे पहुंचा दे। अन्यथा जल्द से जल्द कोई सरल उपाय निकाले। रोटी-रोजगार-रातगुजारी तीनों संकट में है।
हर हर महादेव
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