मन मेरे, विचलित मत होना।
बाधाओं का आना-जाना,
लगा रहेगा
संगी-साथी खोना-पाना,
लगा रहेगा
ना आए तो रोना मत
आ जाए तो पुलकित मत होना
मन मेरे, विचलित मत होना।
निशा-दिवस का खेल सदा ही
लगा रहेगा
काम और विश्राम सदा ही
लगा रहेगा
नहीं मिले तो रोना मत
मिल जाए तो पुलकित मत होना
मन मेरे, विचलित मत होना।
माया भ्रम के सारे बंधन
तोड़ दे प्यारे।
कर्म किए जा, फल की चिंता
छोड़ दें प्यारे।
नहीं मिले तो रोना मत
मिल जाए तो पुलकित मत होना
मन मेरे, विचलित मत होना।
~हरि ओम शर्मा